Saturday, May 17, 2014

16 मई के नतीजे

इस चुनाव ने सारे  समीकरण ही बदल दिए चुनावों  के।  पूरे देश मे कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक टीवी क जरिए मोदी का गुजरात का विकास का मॉडल बुरी तरह बिका।  मुझे लगा था की इस बार का चुनाव कुछ अलग होगा शायद लोग कुछ तो बदले होंगे।  लेकिन कुछ नहीं बदला। रविश कुमार ने , ADR , आमिर खान साहब , कपिल शर्मा सब ने मिलकर कितना समझाने की कोशिश की की अच्छे को चुने , सच्चे को चुने, लेकिन सब ने बस मोदी  को चुना।  ना जाने कितने Corrupt, Communal, Criminal , कांग्रेस के नेता मोदी की लहर मे बहकर संसद तक पहुँच गये. कितनी बार सब ने पूछने की कोशिश की की बीजेपी यह जो पानी की तरह पैसा बहा रही है वो किसका है ? कहाँ से आ रहा है? लेकिन किसी को कोई फरक नहीं पड़ा। हर किसी ने  हिंदुत्व , विकास , गुड गवर्नेंस के  नाम पर मोदी को वोट दिए।   लेकिन अब जो होना था वो तो हो ही गया।   आज नितीश बाबू का रिजाइन देख कर बड़ा दुःख हुआ।  रविश के प्राइम टाइम में उनकी रैली देखि थी , किस तरह वो पब्लिक को भरमाने की जगह उन्हें शिक्षित करने की कोशिश कर रहे थे।  हाँ और ना की जगह उनसे संवाद कर रहे थे. रविश भी बोल रहे थे को नितीश नंबर ३ पर चल रहे हैं बट मुझे कहीं ना कहीं लगता था की उनका काम उन्हें वोट दिलवाएगा , लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज नितीश जी के फैंसले ने अपने स्टेट के लोगों को  इस्तीफ़ा दे कर सवाल पुछा है और उन्हें सन्देश दे दिए की अब अपना विकास मोदी जी से ही करवाओ।  इस सब में किसी का कुछ नहीं जायेगा बस जो बिहार गड्ढोंसे निकल कर सड़क पर आया था वो कहीं वापस वही न चला जाएं। इसी  बात का डर है।

 आखिर में ट्विटर से एक ट्वीट " अमेरिका में लोग टीवी देख कर एक साबुन तक नहीं खरीदते , इंडिया ने प्रधानमंत्री खरीद लिअा " .

1 comment:

Anonymous said...

I am sad. 'Bad goods drive good goods out of market' - economics works in politics also.