Monday, May 19, 2014

Delhi का सियासी गडित



आज  Mr . बिन्नी की प्रेस कॉन्फ्रेंस देख ने के बाद delhi  में सरकार बना ने के सियासी गड़ित के बारे में सोचने लगा की आखिर बिन्नी की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का इरादा क्या था।  काफी सोचने के बाद जो मेरी समझ में आया वो यहाँ लिख रहा हूँ।  मेरी समझ से यह बीजेपी का बेस्ट गेम प्लान है delhi  में अपनी सरकार बनाने का और आप और अरविन्द केजरीवाल को बैकफुट पर लाने का।  बीजेपी किरण बेदी को CM  प्रोजेक्ट कर एक तीर से कई शिकार कर सकती है.  बीजेपी चाहे तो दुबारा इलेक्शन करा कर मोदी लहर में बहकर पूर्ण बहमत भी ला सकती है लेकिन शायद बीजेपी ऐसा नहीं चाहती, क्योंकि अगर दुबारा चुनाव हुआ तो कांग्रेस 8 से घटकर 0 -1 तक जा सकती है और शायद बीजेपी के विधानसभा के पुराने साथी अरविंदर सिंह लवली और हारून युसूफ भी हार जाएं।  बीजेपी दुबारा चुनाव में होने वाले खर्चे को रोक कर पब्लिक की नज़रो में वाह वाही लूटना चाहती है ।

अब रही बात की सरकार कैसे बने delhi में बिना  इलेक्शन  दुबारा कराये ? इस के लिए  बीजेपी चाहे तो ऑपरेशन कमल (कर्नाटका विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किआ ऑपरेशन ) के जरिए MLAs  को तोड़ मोड़ कर आसानी से सरकार बना सकती लेकिन वो यहाँ ऐसा करने से बचना चाहती है जिससे आम आदमी पार्टी को उनके ऊपर कीचड उछालने का मौका ना मिले. इसी का सबसे अच्छा तोड़ है किरण बेदी को सामने ले कर आना।

आप और अरविन्द केजरीवाल पहले किरण बेदी  को Delhi का CM पोस्ट ऑफर कर चुके हैं और किरण बेदी की इमेज बहुत साफ़-सुथरी, कड़क और ईमानदार । अगर अब अरविन्द यहाँ किरण बेदी का विरोध करते हैं तो वो उनके (अरविन्द)  और आप पार्टी के अगेंस्ट ही जाएगा. सो इसी बात का फायदा बीजेपी यहाँ उठाना चाहती है।

सो इस तरह Delhi में सरकार भी बन जाएगी बीजेपी की, दुबारा इलेक्शन रोकने से वाह - वाही भी मिल जाएगी, ईमानदार CM  बना कर अरविन्द केजरीवाल और आप को किनारे भी  लगा दिया जायेगा ।  इसे कहते हैं सांप भी  मर जाए और लाठी भी न टूटे।  

यहीं फरक है आम आदमी पार्टी और बीजेपी में।  जब तक आप कुछ सोच पाती है बीजेपी उन्हें घेरने का नया प्लान बना लेती है।  

Saturday, May 17, 2014

16 मई के नतीजे

इस चुनाव ने सारे  समीकरण ही बदल दिए चुनावों  के।  पूरे देश मे कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक टीवी क जरिए मोदी का गुजरात का विकास का मॉडल बुरी तरह बिका।  मुझे लगा था की इस बार का चुनाव कुछ अलग होगा शायद लोग कुछ तो बदले होंगे।  लेकिन कुछ नहीं बदला। रविश कुमार ने , ADR , आमिर खान साहब , कपिल शर्मा सब ने मिलकर कितना समझाने की कोशिश की की अच्छे को चुने , सच्चे को चुने, लेकिन सब ने बस मोदी  को चुना।  ना जाने कितने Corrupt, Communal, Criminal , कांग्रेस के नेता मोदी की लहर मे बहकर संसद तक पहुँच गये. कितनी बार सब ने पूछने की कोशिश की की बीजेपी यह जो पानी की तरह पैसा बहा रही है वो किसका है ? कहाँ से आ रहा है? लेकिन किसी को कोई फरक नहीं पड़ा। हर किसी ने  हिंदुत्व , विकास , गुड गवर्नेंस के  नाम पर मोदी को वोट दिए।   लेकिन अब जो होना था वो तो हो ही गया।   आज नितीश बाबू का रिजाइन देख कर बड़ा दुःख हुआ।  रविश के प्राइम टाइम में उनकी रैली देखि थी , किस तरह वो पब्लिक को भरमाने की जगह उन्हें शिक्षित करने की कोशिश कर रहे थे।  हाँ और ना की जगह उनसे संवाद कर रहे थे. रविश भी बोल रहे थे को नितीश नंबर ३ पर चल रहे हैं बट मुझे कहीं ना कहीं लगता था की उनका काम उन्हें वोट दिलवाएगा , लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज नितीश जी के फैंसले ने अपने स्टेट के लोगों को  इस्तीफ़ा दे कर सवाल पुछा है और उन्हें सन्देश दे दिए की अब अपना विकास मोदी जी से ही करवाओ।  इस सब में किसी का कुछ नहीं जायेगा बस जो बिहार गड्ढोंसे निकल कर सड़क पर आया था वो कहीं वापस वही न चला जाएं। इसी  बात का डर है।

 आखिर में ट्विटर से एक ट्वीट " अमेरिका में लोग टीवी देख कर एक साबुन तक नहीं खरीदते , इंडिया ने प्रधानमंत्री खरीद लिअा " .